Karva Chauth Pujan Vidhi
हिन्दू परंपरा की सभी महिलाओं के लिए करवा चौथ का त्यौहार खास महत्व रखता है। यह चौथ खासकर विवाहित स्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं पूजन कर, करवा चौथ की व्रत कथा पढ़ती व सुनती है और चंद्रोदय के बाद ही अपना व्रत खोलती है। यह त्यौहार हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
करवा चौथ की व्रत कथा के साथ ही इस दिन पूजन का भी विशेष महत्व बताया जाता है। करवा चौथ के दिन अलग-अलग प्रांत में विभिन्न तरीकों से यह पूजन किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको अधिकांश हिन्दू घरों में करवा चौथ के दिन की जाने वाली पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे है। यह पूजन विधि इस प्रकार है-
1. प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि कर व्रत संकल्प लें। संकल्प लेते समय दिए गए मंत्र का उच्चारण करें-
‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’
2. करवा चौथ के दिन निर्जला व्रत पालन करें।
3. भोग के लिए अठावरी (आठ पूरियों से निर्मित), हलवा या खीर आदि बनाएं।
4. अब पीली मिट्टी की सहायता से माता पार्वती और गणेश जी प्रतीमा बनाएं।
5. गणेश जी और माता की प्रतिमा को लकड़ी के पाटे पर स्थापित करें।
6. अब इस पर जल, मेहंदी, सिंदूर आदि अर्पित करें।
7. अब एक करवा ले और इसपर रोली से एक स्वस्तिक बनाएं।
8. इस करवे को अब गेहूं या शक्कर से भर कर रख दें।
9. अब पति की दीर्घायु की कामना करते हुए यहां दिए गए मंत्र का उच्चारण करें-
‘ॐ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥’
10. करवे पर रोली से 13 बिंदी लगाएं और चावल व गेहूं के 13 दाने हाथ में रखकर करवा चौथ की कथा पढ़े या सुनें।
11. करवा चौथ की कथा सुनने के बाद अपने बड़ों का आशीर्वाद लें और करवा और बय्या दें।
12. कथा सुनते समय प्रयोग किये गए 13 दानों को अलग से संभाल कर रखें।
13. रात को चंद्रोदय के बाद इस 13 दानों से चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
14. चांद को अर्घ्य देते समय पति की दीर्घायु और परिवार की सुख -समृद्धि कामना करें।
15. अब पति को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लें और उनके हाथ से जल पीकर व्रत खोले।
इस प्रकार विधि-विधान से पूजन कर आप करवा चौथ का व्रत संपन्न करें।
Join DharmGhar Family

